उदासीभरी हंसी तुम क्यों हंसती हो ?
सबके आगे बैठती हो , बुत बनके,क्यों अपनी बात नहीं रखती हो  ?
जब कोई पूछता है तुमसे, तुम्हारी खुशी तो तुम सच क्यों नहीं कह सकती हो ?
अपनों का सोचकर , तुम ये अपमान सहती हो ।
तो क्या तुम इसे अपनों का सम्मान समझती हो ?
सम्मान गर चाहिए सबका, तो पहले खुद का सम्मान करो ।
अभिमान  की  बात नहीं है  यहाँ मगरअपने स्वाभिमान का मान करो ।
कमजोर या अबला मत समझो खुद को न ही बोझ जैसे शब्दों का ध्यान करो ।
बस अब उठो ,  खड़ी  हो  ,
करते हुए सबका सम्मान
खुद का भी सम्मान करो  ।
निशा शर्मा ...

-NISHA SHARMA ‘YATHARTH’

Hindi Motivational by निशा शर्मा : 111545980

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