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हाँ, मैंने ही आशीर्वाद दिया था तुझे ऊँचाइयों को छूने का, आसमान में उड़ने का, पर शायद भूल गया था कि हर काय पो चे
Thank you!!
Nice mam
हाँ, मैंने ही आशीर्वाद दिया था तुझे ऊँचाइयों को छूने का, आसमान में उड़ने का, पर शायद भूल गया था कि हर काय पो चे के बाद पतंग कोई छत तो ढूँढ़ती है। उस छत का पता देना भूल गया था। मिले सब कुछ तुझे, जो तेरी चाहत हो तू खुश भी रहे, कहना शायद भूल गया था। जो देखता तू अब, तो जान पाता कितना बड़ा काम कर गया! जिसके सपने ही होते हैं बस, वो शोहरत अपने नाम कर गया। जिया जब तक तू, जिया जिन्दादिली से उम्र लम्बी ना सही ज़िन्दगी यादगार कर गया। मलाल रहेगा ताउम्र तेरे चाहने वालों को ऐसी अनसुलझी पहेली जो बन गया। पूछता हूँ सवाल खुद से अब कि तेरे रोने से ही तेरी भूख का अंदाजा लगाते थे क्यों तेरी हंसी में छुपा दर्द नहीं समझ पाए बचपन के हर झगड़े को सुलझाते - सुलझाते तेरा खुद से लड़ना क्यों नहीं देख पाए नींद में होती हलचल देख, थपकी देकर सुलाया था, क्यों तू चिरनिद्रा में सो गया? छोटी सी चोट पर माँ को पुकारता था ना ! आखिरी आह पर क्यों तू चुप हो गया ? तेरी हर बात को समझने वाले से "आप कुछ नहीं समझते" का सफर कब तय हो गया ? अब ढलती शाम में लौटते देखता हूँ जब पंछियों को उनके घरौंदों में तो बस दिल कहता है - खो ना जाना बनकर तू ईशान, सरफ़राज़, व्योमकेश या मैनी छिछोरे बन या बन तू धोनी तेरे घर का पता आज भी वही है जहाँ रहता है "सुशांत"। लौट आना तू चाहे चहकते हुए या चाहे बहकते हुए बस कभी देखना ना पड़े मेरे बच्चे! तुझे लटकते हुए।
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