शव की शवयात्रा

नर्मदा नदी के बहाव के साथ एक शव भी बह रहा था जो कि लकडियों की अर्थी पर रखा हुआ, फूल मालाओं से ढका हुआ था। उस शव को अपनी ओर आता देख नदी में स्नान कर रहे लोग भाग खड़े हुए, इसकी सूचना जब स्थानीय प्रशासन तक पहुँची तो वे भी चौक गये क्योंकि आज ही सायंकाल नर्मदा मैया की आरती के समय प्रदेश के मंत्री जी द्वारा नर्मदा शुद्धिकरण अभियान पर अपना उद्बोधन जनता के बीच देने वाले थे। यदि यह शव बहता हुआ मंत्री जी के कार्यक्रम के दौरान उस घाट पर पहुँच जाता तो बहुत भारी हंगामा खडा हो सकता था। सभी अधिकारीगण एकमत थे कि येन केन प्रकारेण शव को तुरंत नदी से निकाला जाए। अब गोताखोरों की एक टीम शव को अपने नियंत्रण में लेकर उसे किनारे ले आयी। उन्होने जब शव को देखा तो वे सभी चौक गये और उन्होने अपने अधिकारियो को इस बात से तुरंत अवगत कराया। यह जानकर अधिकारीगण भी सकते में आ गये और उन्होने तुरंत मामले को रफा दफा करने का निर्देश दे दिया।
मंत्री जी अपने निर्धारित समय पर नर्मदा जी के घाट पर पहुँचे और आरती में शामिल होने के उपरांत नर्मदा जी को प्रदूषण से मुक्त कराने की नयी योजनाओं की जानकारी जनता को प्रदान करके वापिस चले गये। उनके जाने के उपरांत अधिकारीगण आपस में एक दूसरे को बता रहे थे कि यह कार्य किसी राजनैतिक व्यक्ति के द्वारा किया गया हो सकता है।
वह शव जो नदी में बह रहा था, वह वास्तव में शव ना होकर एक पुतला था जिसका रंग, रूप एवं आकार हूबहू मंत्री जी से मिलता था। किसी के द्वारा हंगामा खड़ा करने की नीयत से यह कार्य किया गया था। यदि आरती के निर्धारित समय पर यह बहकर उस घाट पर पहुँच जाता तो उससे अप्रिय स्थिति निर्मित होकर एक बवाल मच सकता था। अब सभी अधिकारीयों ने भगवान के प्रति धन्यवाद व्यक्त करते हुए, श्रद्धापूर्वक नर्मदा मैया के प्रति भी आभार व्यक्त किया। हमें आजकल पुनीत कार्य में भी अवरोध पैदा करने वाले शरारती तत्वों से सदैव सावधान रहना चाहिए।

Hindi Story by Rajesh Maheshwari : 111544697
Rama Sharma Manavi 4 years ago

सुंदर, शरारती तत्वों का कार्य ही असन्तोष को भड़काना है

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