हर खुशियाँ जैसे सिमट गई है,
प्रचंड स्नेहधारा थम सी गई है...

न जाने मन आज बेचैन क्यों है,
अचानक ये आंखे नम हो गई है...

- परमार रोहिणी " राही "

#प्रचंड

Hindi Shayri by Rohiniba Raahi : 111544621

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