जागो, देखो सुबह हो गई,
अब रैन कहाँ जो सोता है;

कर कर्म अब वक्त हो गया,
काम ना करे वो खोता है;

वक्त निकल गया हाथों से,
कुछ नहीं होगा जो रोता है;

फल भी उसको मिलता है,
अपना कर्म जो भी करता है;

जो आलस करता जीवनमें,
वो फुर्सत में हाथ मलता है;

#फुर्सत

Hindi Poem by વિનોદ. મો. સોલંકી .વ્યોમ. : 111543483

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