आज देश मना रहा आज़ादी की खुशियां है।
कहीं चल रही लूट फाट,
तो कहीं कोरोना की घड़ियां है।
फिर भी आज देश मना रहा आज़ादी की खुशियां है।
कहीं लूटी जा रही है बेटियों की इज्ज़त,
तो कहीं बेटे कर रहे है अपने ही माँ बाप पर सितम।
फिर भी आज देश मना रहा आज़ादी की खुशियां है।
कहीं पैसों के लिए हो रही हत्या है,
तो कहीं डिप्रेशन में आकर कर रहे आत्महत्या है।
फिर भी आज देश मना रहा आज़ादी की खुशियां है।
कहीं अपने ही देशवासियों में दुश्मनी फैलाई जा रही है,
तो कहीं देने के नाम पर लूटने की मचाई जा रही तबाही है।।
फिर भी आज देश मना रहा आज़ादी की खुशियां है।
एक सवाल??
क्या सच मे देश है आजाद???
या अपने ही अपनो की आजादी के बन गए बेड़िया है??

Hindi Shayri by Tasleem Shal : 111542742
Ketan Vyas 4 years ago

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