आज़ादी चाहिए
झूठे रीति - रिवाज़ से
दकियानुसी समाज से
जो संस्कारों के नाम पर
रोकते हैं पांव हमारे
उसी झूठे लिहाज़ से
हमें नहीं चाहिए आजादी
कपड़ों और घूमने की
हमे आज़ादी चाहिए
ज़ुबान पर नहीं, विचारों से

-✍️ अनिता पाठक

Hindi Thought by अनुभूति अनिता पाठक : 111542590

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