ये बता

दिल के सहारें कब तक चले
दिन दिन गुजारे कब तक चले
बिन आस गुजारा होता तो नही
गुजरा जमाना भी कब तक चले

हर आहट पर धड़कन सेहम जाती है
इक उम्मीद दिल मे जग जाती है
बिन उम्मीदों के सपने सजते तो नही
सपनों बिन जीवन चले तो कैसे चले

हां है प्यार बहुत दिल मे पर बताना नही आया
जाताते भी कैसे कोई ठिकाना भी तो न आया
सफ़र जारी ही रहा ताउम्र पर मुक़ाम न आया
अपने अपने रास्तों पर यूहीं सदा चलते ही चले

कौन खफा और कौन हम राज रहा
कोई जाने न जाने बस जानता है खुदा
वक़्त का़ सिकार तो हर राहगार रहा
कारसाज खुदा संग ग़म भी चलते चले

बदलते मौसम संग मिजाज भी बदलते गये
कुछ रिश्ते छूटे तो कुछ नये बनते भी गये
किरदार बदले पर बदले न राहगीर ओ रास्ते
पर मुसाफ़िर बही एह्सास लिय चलते चले

- Rj Krish

Hindi Blog by Rj Krishna : 111540458

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