बहुत दिन हुए, पता नहीं कब आएगा
वो पल , वो खुशनुमा खुला सा कल
जब निकलेंगे बाहर घर की कैद से
करते घुम्मकड़ी मस्त कश्मीर से केरल

जब ना डर हो ना हों ये दूरियां
सुंदर सुहानी लगे ये सारी दुनिया
ना छूने से, करीबी से हो कोई डर
हाथों में हाथ डाले झूमते चले सफर

जाने कब छूटेगा ये करो ना वो करो ना
और भागेगा ये दुष्ट ये जिद्दी करोना
चलो जुड़ कर मनों से जोड़ें शक्ति सारी
और जीवन में भर दें खोई खुशियां हमारी

:- भुवन पांडे

#केरल

Hindi Poem by Bhuwan Pande : 111539590

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