सुख-दुख मुझसे दूर मत जाना
अवतार मुझमें लेते रहना,
कृष्ण-कन्हैया तुम बन जाना
राम-श्याम बन मुझमें रहना।

मेरी शाश्वत भूख मिटाना
हाथ पकड़ कर राह दिखाना,
सुर में सारे गीत सुनाना
धुन में मुझको गाते जाना।

बाँट-बाँट कर जोड़ भी देना
उत्तुंग श्रृंग तक मुझे उठाना,
जब सांसें मेरी थक जायें
तुम एकरूप में ढल जाना।

*महेश रौतेला

Hindi Poem by महेश रौतेला : 111539051

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