सुख-दुख मुझसे दूर मत जाना
अवतार मुझमें लेते रहना,
कृष्ण-कन्हैया तुम बन जाना
राम-श्याम बन मुझमें रहना।
मेरी शाश्वत भूख मिटाना
हाथ पकड़ कर राह दिखाना,
सुर में सारे गीत सुनाना
धुन में मुझको गाते जाना।
बाँट-बाँट कर जोड़ भी देना
उत्तुंग श्रृंग तक मुझे उठाना,
जब सांसें मेरी थक जायें
तुम एकरूप में ढल जाना।
*महेश रौतेला