भीतर पनपती हर बुराई को साफ करना ,
हो गई हो गलतीयां मुझसे , दोस्तो माफ करना ;
हमने तो कोशिश की थी आगाज़ करने की ,
बातोमें बगावत रही होगी , हो सके तो माफ करना...

Hindi Shayri by RRS : 111537880

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now