कल सुबह एक कोइ बकवास पढ़ ली, बर्दाश्त कर गयी.
समझ नहीं पायी की वो एक जोंक की तरह मेरे दिमाग़ में घुस गयी है. पूरा दिन पूरी रात वो जोंक मेरे दिमाग़ में रेंगती रही रात भर सो नहीं पायी. ऐसी बहुत सी जोंक हमारे दिमाग़ में रेंगती रहती हैं हम कुछ नहीं करते मगर
आज जब सुबह चिड़ियों के लिए दाना डालने गयी तो एक बिल्ला पहले से ही वहां घात लगाए उनके शिकार के लिए बैठा था तब मेरी बर्दाश्त की हद टूट गयी और मैंने उस जोंक को दिमाग़ में ही सोंच के मर दिया अब कुछ आराम है.

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