मैं नहीं चाहता था
मारना
अपना ही मन
अपने अरमान
अपने ख़्वाब

इसलिए मैंने
दबे पांव बढ़कर
चुपचाप उन सभी
को कत्ल कर दिया
जिनके कदम
मेरी राहों को छू रहे थे
और जिनकी नज़रें
कहीं मेरी मंज़िल की
ओर झुंकी थीं

:- भुवन पांडे

#मारना

Hindi Poem by Bhuwan Pande : 111537525
Priyan Sri 4 years ago

बहुत ख़ूब 👌

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