किसने तोली महोबत को उम्र जाती धर्म समुदाय, या उच नीच के तराजुं मे? मेने तो सबसे बढके माना महोबत को, पर हरकोई कीसीना कीसी बहाने महोबत को कमजोर और लाचार करके ये कहके चला गया की प्लीज शोरी, मेरी मजबुरी है।।

-Raajhemant

Hindi Shayri by Hemant Pandya : 111536555

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