मांगी थी दुआएं आशियाने के लिए
चल पड़ी आंधियां जमाने के लिए .
मेरा ग़म तो कोई समझ ना सका
क्योंकि हमारी आदत है मुस्कुराने के लिए . !

#sHiVaN

Hindi Shayri by Poorav : 111536406

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