इश्क़ की कुछ कहानियां
परवान चढ़ कर भी अधुरी रह जाती हैं
तेरा - मेरा प्यार भी वही कहानी तो है
बिछड़कर भी हमारे पास एक निशानी तो है
जवाब तो मेरी आंखों में था
तुम ज़बान से सुनने का इंतजार करते रहे
चले गए एक बार देखा नहीं मुड़कर भी हमें
हम आंखों में इकरार लिए तुम्हें जाते हुए देखते रहे
ये कैसा इश्क़ था हमारा यारब
तुम कहते रहे और हम सुनते रहे

- अनिता पाठक

Hindi Poem by अनुभूति अनिता पाठक : 111535979

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