कर्म तुम्हारे पूछेंगे तुमसे,
होगी जब उत्सव की रात,
बहे चले जो प्रवाह के साथ,
ये तो हुई धारा कि बात,
तुमने क्या किया?

धर्म तुम्हारा पूछेगा तुमसे,
होगी जब न्याय की रात,
धरे चले जो सिखा गये नाथ,
ये तो हुई प्रथा कि बात,
तुमने क्या किया?

मर्म तुम्हारा पूछेगा तुमसे,
होगी जब स्तवन कि रात,
दिये चले जो रुका न हाथ,
ये तो हुई भाग्य की बात,
तुमने क्या किया?

#प्रेरित
०८/०५/२०१९

#कर्मा #कर्म #कविता #कव्य #कवि #अव्यक्त

Hindi Poem by प्रेरित डागा : 111535837
Priyan Sri 4 years ago

अद्भुत 👏 👏

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