#100th

मैं अब भी वही हूँ।
जो कुछ सालों पहले थी,
जब तुम से पहली बार मिली थी।
बस कुछ साल चढ़े है,
दो-चार सफ़ेद बाल चढ़े है।
सूर वही, पर कुछ ताल चढ़े है।
अच्छे से ठीकठाक, और
वहाँ से बेहतरीन तक पहोंचे;
ऐसे कुछ हाल चढ़े है।
और तुम बताओ, तुम
पर क्या क्या कमाल चढ़े है?

© लीना प्रतीश

Hindi Poem by Leena Pratish : 111535473

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