तेरी तरफ आते हुए कदम
कदम रुक जाते हैं
डरता है दिल
धड़कने बढ़ जाती हैं
जाने इस बार तुम क्या ज़ख़्म दे दो
जाने इस बार हम फिर ना संभल पाएं

- अनिता पाठक

Hindi Shayri by अनुभूति अनिता पाठक : 111533531

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