सुनो,
कभी-कभी कुछ अनचाही घटनाएं यादें बन जाती हैं..
कुछ घटनाएं प्रेम की वज़ह बनती हैं तो कभी कुछ शब्द..
जैसे एक अनजान इंसान से पहली बार कहे गए मीठे शब्द आपको हमेशा याद रहते हैं।
वो शब्द महज़ शब्द नहीं रहते बल्कि वो बन जाते हैं किसी मजबूत रिश्ते की नींव..
ऐसे ही मेरे प्रेम की नींव तुम हो.. और तुम्हारी नीली शर्ट का वो बेख़बर धागा..
वैसे तो तुमसे जुड़ा अच्छा-बुरा हर एक पल मुझे मेरे प्राणों से ज़्यादा प्रिय है.. ऐसे ही प्रिय है मुझे वो टूटी चूड़ी वाला पल..
जिस पल मेरी कलाई में खनक रही एक पागल चूड़ी का आधा हिस्सा तुम्हारी शर्ट के किसी धागे में टूट के अटक गया।
जैसे विधाता ने बड़ी ही मजबूती से बांध दिया हो उसे, केवल एक कच्चे से महीन धागे से।
मुझे वो चूड़ी बहुत प्रिय थी, मगर ना जाने कब किस तरह वो मेरी लापरवाही से चटक गई।
बहुत दुःख हुआ था मुझे..
बहुत दुःख..
मगर, मैंने उसके चटकने पर भी उतारा नहीं..
फिर, उससे भी ज़्यादा दुःख तब हुआ जब मैं तुमसे टकरा गई और वो चटक चुकी चूड़ी.. बड़ी फुर्सत निकाल तुम्हारी नीली शर्ट के किसी बेख़बर से धागे से उलझ पूरी टूट गई..
हाँ माना तुम्हारी ग़लती नहीं थी, मेरी थी..
वो हमारी पहली अनचाही मुलाक़ात थी। हम दोनों ही अंजान थे।
जहाँ तुम अपने में व्यस्त जा रहे थे बड़ी तल्लीनता से..
और मैं..
मैं ही तुम्हें मेरी पसन्द के नीले रंग में देख, बस देखती रही.. और अनजाने में टकरा गई..
बहुत गुस्सा आया था मुझे तुम पर, तुम्हारी नीली शर्ट पर, और उस धागे पर..
मगर अब जब भी उस पल की याद करती हूँ तो गुस्सा नहीं इश्क़ होता है तुमसे, तुम्हारी नीली शर्ट से और उस नन्हे महीन धागे से..
जिसकी वज़ह से मैं आज तुम्हारे ही नाम के किस्से लिख रही हूँ..
❤️❤️
~रूपकीबातें
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