ख़ुशी उल्लास के अवसर पर सब हमारे आगे रहते हैं पर दुःख संकट की घड़ी में पीछे हो लेते हैं ठीक वैसे ही जैसे कि बारात में बाराती आगे और दूल्हा पीछे और अंतिम यात्रा में हमारा पार्थिव शरीर आगे और लोग पीछे .

Hindi Thought by S Sinha : 111531468

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