My Soulful Poem...!!!!

नादाँ इन्सान समझें जहाँमें ही तरक़्क़ी है

पर याद रखो इन्सानी जीवन तो फ़ानी है

हर जिस्मों को मौत तो ज़रूर आनी ही है

कुछ रहती बाक़ी तो,बस कमँ करनी हैं

माना ख्वाहिश हर एक बशर की मुक्ति है

पर प्रभु दरबार में चलती नही प्रयुक्ति है

बिछड़ना एक दीन जहाँ से नियुक्ति है

ओर रब के दरबारमें सिर्फ़ पाक़िजगी है

ग़र संभल जाए बंदा दिलसे हक़की राह

में तो फिर हरि-डगर पर झुकेंगे सर ग़र

दिल से तो प्रभु-शरण में ही भक्ति है..!!


✍️🥀🌷☘️🌹🙏🌹☘️🌷🥀✍️

Hindi Motivational by Rooh   The Spiritual Power : 111531437

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now