कितने क़िस्से इस चाय के साथ ...
और चाय ने अब मुझे समझ लिया !
कभी गिले शिकवे मिटाने की कोशिश ..
कभी दिलो के दूरियों को समझने की कोशिश ...
कभी उलझनों को सुलझाने की कोशिश ...
कभी करार ..कभी इक़रार..कभी तकरार
कभी चाँद ..कभी तन्हाई..कभी कुछ दोस्त यार
चाय ने सब समझा ...सब सुलझा दिया...
देखो ना ....आज चाय ही तो है मेरे सफ़र का साथी
बाक़ी सब तो चले गए
यह इश्क़ बस मेरे साथ है
क्यूँकि... चाय ने मुझे समझ लिया अब !