(62) ख़बरदार
न कोई कहानी न कोई किरदार लिखता हूँ मैं!
जो है मेरे अल्फाज में अख्तियार लिखता हूँ मैं!

जज्बातों को गमों की चादर में लपेटता गया-
आसुओं को मोती लहू को सरदार लिखता हूँ मैं!

राहों में बिखरे हर कांटों को फूल बनाता गया-
माँ की ममता और पिता का प्यार लिखता हूँ मैं!

चुपके से दिल की तन्हाइयो को समेटता गया-
अपने हुए पराये तब भी तलबगार लिखता हूँ मैं!

ख़ामोश लबों से मुस्कानों को बिखेरता गया-
समझ न पाये मुझे कोई असरदार लिखता हूँ मैं!

किसी की बुराई आलोचनाओं से बचता गया-
करोड़ों पर न कर बुराई ख़बरदार लिखता हूँ मै!

अपने तो अपने हैं गैरों को गले लगाता गया-
दिल से अपने दुश्मनों को दिलदार लिखता हूँ मै!
क़िताब-'सच के छिलके' कविता संग्रह से
रचनाकार-शिव भरोस तिवारी 'हमदर्द'

Hindi Poem by shiv bharosh tiwari : 111527457
shekhar kharadi Idriya 4 years ago

वाह.. बहुत खूब...

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