मैं अकेला चलता जाऊगां
मजिंल मेरी है
किसी का साथ फिर क्यों जरुरी है,
लाखों कांटे है सफर में तो भी
मंजरी सेज का मुन्तजिर होना
क्या जरुरी है

सांसें रोक लूं ख्याल आया कई दफा
नरक ही सही, जीना जरूरी है,
लाजमीं है ठोकरें खाना, मगर
संभल जाना भी जरूरी है

लोग भूल जातें हैं अपनाकर हमें
भूल जाते हैं 'कदर' भी जरूरी है
खैर जाने भी दो, अतीत की बातें हैं
अतीत भूल जाना भी जरूरी है
#M -kay

Hindi Shayri by M-kay : 111527080

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