गरीब और अमीर के प्रेम में फर्क होता है क्या? अगर तथाकथित गरीब के पास प्रेम है तो फिर वह गरीब क्यों हुआ? धन का मानक तय करता है क्या इन्सान का स्तर? जो प्रेम से तरबतर न हुआ वह क्या जान पायेगा उसका अमरत्व.....आखिर परेश जान ही गया क्या होता है निस्वार्थ प्रेम.....एक बूँद इश्क...बढ़ चला है आगे अपने गन्तव्य की ओर...दिलों में जड़े जमाने....
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