सुनो ,,
जब गहरी रात होगी ना, और मुझे नींद नहीं आएगी..
जब हम बिछड़ चुके होंगे, तो बस एक बार तुम मुझसे मिलने ज़रूर आना..
मैं तुमसे एक आख़िरी बार मिलना चाहती हूँ..
तुम्हारे हाथों पर एक आख़िरी बार अपनी उंगलियों से मेरा नाम उकेरना चाहती हूँ।
तुम्हें करीब से देख ख़ुश होना चाहती हूँ।
सुनो..
तुम वैसे ही आना जैसे मेरी ज़िंदगी में आए थे, दबे पाँव, बिना किसी शोर के।
मुझे, तुमसे मोहब्बत ना हो बहुत चाहा मैंने, मगर कभी-कभी लगता है जैसे सब तय था.. तुम्हारा मेरी ज़िंदगी में इस तरह अचानक आना भी तय रहा होगा..।

तुम्हें खबर नहीं मगर तुम मेरी पसंद की गहरी नीली शर्ट पहने हुए थे। तुम, थोड़े गंभीर और स्वभाव में शांत..। हड़बड़ी में काम करते हुए तुम अचानक ही मेरे सामने आ गए, और फिर एक तुम्हारे सिवा जैसे सब कुछ रुक गया, और खामोशी पसर गई, मगर तब भी मैं तुम्हें सुन रही थी.. और यकीन मानो जब तुम सामने आते हो तो मैं सिर्फ़ तुम्हें सुनती हूँ, जैसे किसी और की आवाज़ मेरे कानों तक आती ही नहीं।

तुम क्या हो मेरे लिए, ये मैं ही जानती हूँ क्योंकि तुम्हें पूरी तरह से शब्दों में ढालने का हुनर मुझे कभी आया ही नहीं। तुम मेरे हर काम पर नज़र रखते थे, कभी-कभी तुम होते भी नहीं थे और लगता था तुम हो.. और दूर कहीं से मुझे देख रहे हो।
मैं अपने ही सवालों में उलझी रहती हूँ, और तुम हो सुलझे हुए, जिसके पास मेरी भी हर समस्या का समाधान है।

जब आख़िरी बार मिलने आओ, तो वैसे ही आना, मेरी पसन्द के गहरे नीले रंग को पहने.. सुलझे हुए, गंभीर और शांत स्वभाव से।
मैं तुम्हें बिछड़ने से पहले इन आँखों में भर लेना चाहती हूँ। जी भरकर देख लेना चाहती हूँ.. फिर ज़िंदगी तुम्हें मेरे सामने लाए ना लाए.. फिर मेरे नसीब में तुमसे बात करना हो ना हो।

सुनो..
तुम थोड़ा ठहर जाओ ना..
वक़्त की रफ्तार पकड़े तुम भी मेरी ज़िंदगी से निकलते जा रहे हो। ये वक़्त नहीं रुकता मेरे लिए, मगर तुम ही रुक जाओ। अब जब तुम्हें रोकने तुम्हारी शर्ट के कोने को पकडूं तो मुझे बातों में बहला मेरा हाथ छुड़ा.. तुम जाना मत।
तुम्हें ठहरने को कहूँ तो फिर आने का कोई झूठा वादा मत करना।
सुनो..
बस तब तक के लिए ठहर जाना, जब तक तुम्हारी तस्वीर मेरी आँखों से दिल में नहीं उतरती।
फिर नसीब कभी मिलाएगा नहीं और मैं तुमसे मिलना चाहूँगी भी नहीं।
क्योकि मैं ईश्वर नहीं, इंसान हूँ।
तुम्हें देख मुझे बेचैनी होने लगती है, दर्द होता है दिल में।
सच कहूँ तो तुम्हारी महज़ तस्वीर देखने से ही मेरे दिल में टीस उठती है।
सुनो,
तुम ठहर जाओ ना..
शायद मैं ये फिर कह नहीं पाऊँगी.., वैसे ही जैसे कभी यह कह नहीं सकी.. की मैं तुमसे बेहद मोहब्बत करती हूँ।
💔💔
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Hindi Blog by Roopanjali singh parmar : 111526060

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