नदीया किनारे,दुर कहीं पक्षि पुकारे।
पर्वत के छाये, जहां बहेती हवा मुस्कुराये।
निले आसमान के आड़ में सुरज लुका छिपी खेलें।
खुबसूरत कुछ लम्हें जीये
कुदरत में खोकर खुद को पाये।
- Apeksha Diyora

Hindi Poem by Apeksha Diyora : 111525621

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