क्या करूँ में तारीफ उसकी,
जिससे में प्यार करता हूँ।

देखा था एक सपना उसका,
सच सा वो अब लगता हैं;

संग उसके जीवन मेरा,
एक प्यारी रीत लगता है;

क्या करूँ में तारीफ उसकी,
दिल जिसपें ये मरता है;

पिरो दिया प्यार को,
उसने परिवार की डोर में;

चल पड़ा ये जीवन मेरा,
उसके माँझे की डोर पर;

दिया एक नन्हा तोहफा,
उसने जीवन के मोड़ पर;

हुआ एक नया प्रकाश
सब सपना से लगता है;

संग उसके सबकुछ अब,
अपना अपना से लगता है;

क्या करूँ में तारीफ उसकी,
जिसपें में मरता हूँ;

क्या करूँ में तारीफ उसकी,
जिससें में प्यार करता हूँ ।


मेरी कविता
#Kavyotsav2

Hindi Poem by shubham chouhan : 111523914

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