क्या करूँ में तारीफ उसकी,
जिससे में प्यार करता हूँ।
देखा था एक सपना उसका,
सच सा वो अब लगता हैं;
संग उसके जीवन मेरा,
एक प्यारी रीत लगता है;
क्या करूँ में तारीफ उसकी,
दिल जिसपें ये मरता है;
पिरो दिया प्यार को,
उसने परिवार की डोर में;
चल पड़ा ये जीवन मेरा,
उसके माँझे की डोर पर;
दिया एक नन्हा तोहफा,
उसने जीवन के मोड़ पर;
हुआ एक नया प्रकाश
सब सपना से लगता है;
संग उसके सबकुछ अब,
अपना अपना से लगता है;
क्या करूँ में तारीफ उसकी,
जिसपें में मरता हूँ;
क्या करूँ में तारीफ उसकी,
जिससें में प्यार करता हूँ ।
मेरी कविता
#Kavyotsav2