#खुश

हालाते बयाँ क्या करु आज मेरी खुश क़िस्मती का
बारिश का मौसम है और महेबुबा से मुलाकात है ।

बादलों का बरसना, बिजली का कडकना लयबद्ध है
मौसम महज़ इत्तेफाक नहीं उनका समाना मुझमें तय है ।

झुम उठे है पेड़ पौधें और आलम आसपास का सारा
प्रणय पल्लीत होना भी खुश किस्मती का पर्याय है ।

#rambin

Hindi Shayri by Rambin : 111523813

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