(नारीशक्ति)
अब ना वो तलवार में जो चुप रह गई मयान में।
अब ना वो बेजुआन में जो
सब सह गई आन में।
एक आंधी ऐसी अाई
घूंघट जिसने उड़ाया
लोग लाज का।
अब में बात बड़ाना सीख चुकी हूं।
हाथ उठाना सीख चुकी हूं।
पैर की जूती समझा जिसने
उसका ऋण में चुकाना सीख चुकी हूं।
मेरे हर कदम पे जो उंगलियां उठती है हजार
अब ना में सहूंगी।
ना रोऊंगी ज़ार- ज़ार
क्यों कि अब में
नज़रे मिलाना सीख चुकी हूं।
जीत जाना सीख चुकी हूं।
अपमान था किया जिसने
उसे धूल चाट आना सीख चुकी हूँ ।

Hindi Poem by Aastha Rawat : 111523140

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