मुकमल होगा 


क्या मिल पाएगा वो मंज़र, 

जो चुभता है हर घड़ी सीने मैं बनके खंज़र, 

वो  ख्वाब क्या कभी हकीकत होगा, 

या  वो  भी  साँसो  के  साथ  रुक्सत होगा, 

हम  भी  ज़िद्दी  है  जनाब,  इतनी  जल्दी ना मानेगे हार, 

उम्मीद  का  दामन  थामे बैठे है, 

यकीनन कभी तो जहाँ मैं  मेरे  आने का मकसद भी मुकमल होगा...
Deepti's
♥️Dil Se Dil Tak♥️

English Shayri by Deepti gupta : 111522848

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