युवा शालिनी के जीवन की उमंगे अभय के साथ ही खत्म हो गईं लेकिन जीवन किसी के साथ खत्म नहीं होता। कैसी होती है शालिनी की तन्हा सुबह और कितना खालीपन होता है छुट्टी के दिन में। जानने के लिए पढ़ें उपन्यास देह की दहलीज पर

Kavita Verma लिखित कहानी "देह की दहलीज पर - 7" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें
https://www.matrubharti.com/book/19885225/deh-ki-dahleez-par-7

Hindi Story by Kavita Verma : 111520358

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now