शब्दों की कोई कीमत ना हो, अक्सर वहां चुप हो जाता हूं में ।

जज्बातों की कदर किसे यहां, इसलिए गुमसुम सा नजर आता हूं में ।


लोग अक्सर मुझे ताने सुनाते है कि ऐसे तो अकेले ही रह जायेगा,

जूठे जज्बातों के साथ घुटन से अच्छा तो खुद के साथ अकेला रहना है ।

Hindi Poem by Jainish Dudhat JD : 111516885

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