#बाज़

कोई मुझे बाज़ की पेनी नजर से ना आंकें। अभी तो कांटों पर पैर रखा है मैंने,कोई मेरे चेहरे की हंसी से मेरी मंजिल को ना भापें।।
स्वाति सिंह साहिबा

Hindi Shayri by Swati Solanki Shahiba : 111514328

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now