तुम नहीं,
तुम्हारी सरलता
#विलक्षण है।
तुम नहीं,
तुम्हारा स्नेह
#विलक्षण है।
तुम नहीं,
तुम्हारा अपनापन
#विलक्षण है।
तुम नहीं,
तुम्हारा होना
#विलक्षण है।
तुम नहीं,
तुम्हारा साथ
#विलक्षण है।
तुम नहीं,
तुम्हारी अनुभूति
#विलक्षण है।
तुम नहीं,
तुम्हारा मुझ को,
आवृत कर लेना
#विलक्षण है।
मैं नहीं,
मेरा तुम में होना
#विलक्षण है।

#कृष्ण

Hindi Poem by Meenakshi Dikshit : 111513330

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now