कुछ कही.. कुछ अनकही...
कहने सुनने में क्या रखा है.?

उम्र गुज़ार दी.. आँखों से गुफ़्तगू में,
अब शब्दों में क्या रखा है.?

तूने जो कहा नहीं... मैं वो भी जानूँ,
फिर गीत ग़ज़लों में क्या रखा है..? Hema

Hindi Shayri by Hema : 111512351

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