और फिर मिले दोनो, ज़िन्दगी के ना चाहे मोड़ पर,
दोनो बंध गए थे अनचाही दोर से,
बनना चाहते थे एक दूजे के हमसफ़र, पर दोनो के हमसफ़र ही अलग बन गए!
भूली ना थी वोह भी, याद तो उसे भे बेहद आती थी!
बिछड़े तो जिस्म से थे, दोस्ती ने रिश्ता बरकरार रखा था!
देख एक दूजे को बस आंखे बोल रही थी,
दिल की धड़कन भी जैसे ज़िंदा सी हो गई थी!
चूम लिया उसने अपने सपनो की रानी को!
बस यह ही अंजाम देना चाहता हो जैसे अपनी अधूरी कहानी को!
सेहम गई वोह, आंख भर आयी आंसुओ से!
खुशी थी पर दर्द भी ज्यादा था उन आंखो में!
"तुम मुझे ऐसे छु नहीं सकते!" इतना ही बोल पाई वोह,
धड़कन जिसके नाम है, उसको ऐसे क्यू कह पाई वोह!
मुंह फेरकर चली गई वोह, बिना पढ़े उसकी आंखे!
शायद सुन लेती तो अब उतनी नम ना होती वोह आंखे!
आंखे उसकी एक ही बात कहती रही,
"मुझे जिस्म से बावस्ता नहीं है, यह बात अलग है तुझे नजरभर देखकर रोक ना पाया खुद को?
प्यार आज भी उतना ही है तेरी सख्शियत से, बस मांगे है कुछ आराम के पल तुझसे!
तू मेरे हर दर्द का इलाज है, तेरा बस होना ही मेरे लिए बोहत खास है!
तेरी गोद में सर रखकर जी भर के रोना चाहता हूं, बस इसी तरह एक दफा तेरा होना चाहता हूं!"

Hindi Blog by Gopi Mistry : 111511406

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