चल आसमाँ के पार कहीं उड़ चलें सनम
न साये की हो फ़िक्र कोई धूप का न ग़म
हों बादलों की खिड़कियाँ दीवारें और दर
इक घर हो चाहतों का हों बस जिसमें तुम और हम
...अंजलि 'सिफ़र'

Hindi Shayri by Anjali Cipher : 111511044

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