तू खूब बरस ...

कुछ बूंदों से
जी भरता नहीं
तू बरस बरस
तू खूब बरस

सूखा ये तन
सूखा कण कण
तर बर कर दे
तू ये तन मन

बेरुख रूखा
ये सारा मंज़र
तू सरस हरस
तू खूब बरस

झनक खनक से
जी भरता नहीं
तू खूब कड़क
तू खूब गरज

छुटपुट बदरी से
जी भरता नहीं
टोली मेघों की ले
तू खूब धमक

खोए सोए
जी लगता नहीं
तू खूब दमक
तू खूब चमक

तू चमक दमक
तू गरज कड़क
तू सरस हरस
तू खूब बरस

:- भुवन पांडे

Hindi Poem by Bhuwan Pande : 111510873
shekhar kharadi Idriya 4 years ago

अत्यंत सुंदर प्रस्तुति...

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