इंद्रधनुष के रंगों सी रंगीन।
तो कभी चासनी सी मीठी।
तो कभी सागर सी नमकीन
उन आसमान की परियो से भी सूंदर
उन फूलो की कलियों सेभी कोमल
वोह तू है मा , वोह तू है
जिनकी प्यारी सी मुस्कान से मेरे आंशु थमे
जिसके आँचल की शीतल छावो में
संसार का हर सुख मिले
जिसके साथ होने से
छूपे हुवे खजाने से हर खुशियां चाबी मिले
वोह तू है माँ वोह तू है
जिस ने मुझे सपने देखना सिखाया
हर मुसीबतो से लड़ना सिखाया
उनके सारे आंशु में चुराना चाहती हु
मेरे जीवन मे उनका दर्जा
ईश्वर से भी बढ़कर रखना चाहती
हा माँ दोबारा में तेरी गॉद में सोना चाहती हु
में फिर से आपकी नन्ही परी बनना चाहती हु
मेरी माँ सारे जगसे जुदा है
माँ में आप जैसे बनना चाहती हु
मेरी प्यारी माँ में आप मे खोना चाहती हु
में आपको हर जन्म में पाना चाहती हु
तू है मेरी माँ मेरी प्यारी माँ।
कृतिका-देवांग