#मृत
किसी की तमन्नाओं के हमने पर बना लिए
एक अर्मा था छूने का आसमान को सितारों
को कुछ अच्छी तरीके से सजाना है कदम पड़े
जहां मेरे दोस्त के चांद की रोशनी में हर जगह सुनहरी हो कुछ जमी को हमें ऐसे सजाना है ।
ख्वाइश से उम्मीदें हर दिलमें जगती है तभी तो जिंदगीहर मोड़ पर रुखसत बदलती है अक्सर कटता नहीं इंसान तलवार के गांव से रूस ने
का तो मरहम होता है कुछ तो अपने ही काट
देते हैं # मृत हो जाए कबवो केवल भावनाओं
से हर वक़्त सब के सामने खिलवाड़ करते हैं।
जीने के एहसास को # मृत कभी होने ना देना
उम्मीदें हटती है हर जगह से तभी नए रास्ते की तलाश होती है.. बिखर के रह जाएगी हर तरफ
से बिखर जाएगी बुराइयां अच्छाइयों के सामने
हर अंधेरे के बादमें उजाले की परिभाषा होती है
सुनिल कुमार शाह