जब जीने की चाह खत्म हो जाए,
तब जीवित और मृत में कोई फर्क नही रहेता...

है कान्हा..! एक आश तो थी तुमसे,
पर तु बिन मांगे दे उसमे कोई कर्ज नही रहेता...

- परमार रोहिणी " राही "

#मृत

Hindi Shayri by Rohiniba Raahi : 111507673

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