शिशु जब जन्म लेता है, तो कुछ भी नहीं समझता, कुछ भी नहीं जानता। ना रंग, ना रूप, ना चेहरा, ना रिश्ता।
मगर स्पर्श समझता है, और यह स्पर्श ही उसे प्रेम करना सिखा देता है।
ऐसे ही मैंने सीखा था तुमसे प्रेम करना.. मात्र तुम्हारे एक स्पर्श से।
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Hindi Thought by Roopanjali singh parmar : 111507049

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