मैं नए ज़माने की लड़की हूँ..
मगर मोहब्बत की बात हो तो सोच से पुरानी हूँ।
ऐसा लगता है जैसे किसी जवान शरीर में कोई बूढ़ा दिल है। जो पहले के लोगों जैसे ही मोहब्बत करता है।
शायद, मुझे वही पुरानी, मासूम मोहब्बत पसन्द है।
कभी सोचती हूँ, तुम्हारे नाम पर कोई ख़त लिखूँ और भेज दूँ तुमको। वैसे ही, जैसे पुराने समय के प्रेमी-प्रेमिका लिख दिया करते थे, बिना किसी संकोच के।
मैं किसी कॉल या मैसेज में मोहब्बत का इज़हार नहीं करना चाहती। मैं अकेले में यूँ ही औपचारिक रूप से नहीं कहना चाहती, कि मैं तुमसे मोहब्बत करती हूँ।
नहीं! कभी नहीं!
मैं चाहती हूँ, किसी ऊँची इमारत में खड़े होकर जोरों से चिल्लाना, कि मैं तुमसे मोहब्बत करती हूँ। (मगर, छोड़ो मुझे ऊँचाई से डर लगता है)
मैं चाहती हूँ, किसी फूलों से भरे पेड़ के नीचे, जोरों की हवा के बीच, घुटनों पर आकर कहना, कि मैं तुमसे मोहब्बत करती हूँ।
कभी सोचती हूँ, अगर तुमने मुझसे मोहब्बत का इज़हार किया तो? क्या कहूँगी तुमसे? किस तरह से प्रतिक्रिया दूंगी।
मगर इतना जानती हूँ.. कि मैं रोने लगूंगी।
बताया था ना.. मैं ज़्यादा ख़ुश होने पर रोने लगती हूँ।
ऐसे ही ना जाने कितनी बातें हैं जो मुझे तुमसे कहनी हैं। मगर कहना आसान नहीं है।
शायद मोहब्बत करना सरल है, मगर उसको कहना कठिन। ये लोगों ने मोहब्बत के प्रदर्शन को बहुत कठिन बना दिया है।
कभी सोचती हूँ किसी शाम जब मैं तुम्हारे आँगन में तुलसी की पूजा करूँ, तो तुम जोरों से आवाज़ देकर मुझको बुलाओ, और मैं भागती हुई तुम्हारी आवाज़ पर तुम्हारे पास आऊँ.. और मेरी पायल की छन-छन मुझसे पहले ही मेरे आने की गवाही दे दे।
तुम्हारी पसन्द मैं अपना लूँ, और मेरी पसन्द तुम अपना लो।
हमारी कमियां, खूबियाँ.. दोनों को ही बराबर सम्मान मिले।
मगर हाँ, मुझे चाय से ज़्यादा कॉफ़ी पसन्द है। तुम मेरे लिए कभी काफ़ी पी लेना। मैं तुम्हारे लिए रोज चाय पी लूंगी।
#रूपकीबातें
#roopanjalisinghparmar #roop #roopkibaatein #love