क्यूँ,धिरते रहें
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@सीमा कपूर

क्यूँ-अंधकार में हम धिरते रहें,धिरते,रहें,धिलते रहें
क्यूँ-अपने आप से हम लड़ते रहें,लड़ते रहें,लड़ते रहें,

क्यूँ-खा़मोश आँखो से हम जीते रहें,जीते रहें,जीते रहें,
क्यूँ-घर की खिड़कियों से हम झाकते रहें,,झाकते रहें,झाकते रहें,

क्यूँ- बेजान जिस्म को हम बिस्तर पर निचोड़ते रहें,निचोड़ते रहें,निचोड़ते रहें,
क्यूँ-डर कर हम डर मे ही सिमटते रहें,सिमटते रहें,सिमटते रहें,

क्यूँ- एक तव़ायफ की तरह हम सिसक सिसक कर रोते
रहें,रोते रहें,रोते रहें,
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वक्त भले कठिन हैं पर क्यू़ँ-हम हार कर हार के बिस्तर
पर सोते रहें,सोते रहें,सोते रहें,

हाँ............
क्यू़ँ हम धिरते रहें धिरते रहें ,धिरते रहें.?

Hindi Microfiction by सीमा कपूर : 111505663

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