गिन गिन तारे सर्द हवाओ में
उजली छिटकी चाँदनी रातों में
ग़ुम शुम बीती तेज यादों में
था चाँद करीब मेरी सदाओ में

जाने कहाँ बो ग़ुम हुए
बीती रातें बातों ही बातों में
धड़कने महकी बेहकी सी ये
ए हमराज तेरे ही ख़यालों में

सादगी तेरी अब भी बिखरी सी है
किसकदर अब भी मेरी पनाहों में
देख जरा आकर ओ बेख़बर
कभी तो मेरी इन सूनी राहों में

- Rj Krish

Hindi Blog by Rj Krishna : 111505636

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