#सावधान रहेंना, तुं यहां,
असावध रहकर क्या पाया है?

तुं अंदर है तो जींदा है,
बहार खड़ा मोत का साया है;

फिर क्युं करे मनमानी?
तुम भी तो किसीका जाया है;

तुं जींदा तो वो भी जींदा है,
जीस परीवार पर तेरा छाया है;

मत करना ऐसी बेवकूफी,
फिर क्या होगा जो पछताया है?

#सावधान

Hindi Poem by વિનોદ. મો. સોલંકી .વ્યોમ. : 111504807

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now