दिलजलों की महफ़िल में
हम दिल लगाने बैठे है ,
अरे! जुर्रत तो देखो ,
एक शायरा को यहाँ उन्हीं के
शेर से रिझाने बैठे है ..

Hindi Shayri by jagrut Patel pij : 111504668

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now