#लापरवाह


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समज नहीं पा रहे थे हम,की दो नामो के पीछे दो तरह की फितरत
भी छुपी होती हे ।

मोहब्बत के पीछे क्या नफरत भी छुपी होती हे???

आए भी थे वो जल्दबाज़ी में ओर फेसला भी लेकर चले गए वो जल्दबाजी मे।

हसीन ख्वाब समजे या समजे उसे एक भयानक हकिकत,
हमारी ही लापरवाही थी जो दिल लगा बेठे एक अजनबी पर।

मोहब्बत के पीछे हां नफरत भी छुपी होती हे,ये देखलिया मेने
आज लापरवाह होकर।


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✒हिरलबा तलाटिया
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Hindi Poem by Hiralba Sisodiya : 111504002

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